(श्रीवल्लभाचार्य जी) - Shree Vallabhacharyaji
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥१॥
श्रीराधारानी श्रीकृष्ण प्रेम से ओत प्रोत हैं और श्रीकृष्ण श्रीराधारानी के प्रेम से। जीवन के नित्य धनस्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों ॥1॥
कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥२॥
श्रीकृष्ण का धन श्रीराधारानी जी हैं और श्रीराधारानी जी का धन श्रीकृष्ण। जीवन के नित्य धनस्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों॥2॥
कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥३॥
श्रीकृष्ण के प्राण श्रीराधारानी जी में बसते हैं और श्रीराधारानी जी के प्राण श्रीकृष्ण में। जीवन के नित्य धनस्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों ॥3॥
कृष्णद्रवामयी राधा राधाद्रवामयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥४॥
श्रीकृष्ण के नाम से श्रीराधारानी जी प्रसन्न होती हैं और श्रीराधारानी जी के नाम से श्रीकृष्ण। जीवन के नित्य धनस्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों ॥4॥
कृष्ण गेहे स्थिता राधा राधा गेहे स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥५॥
(मन से) श्रीराधारानी जी श्रीकृष्ण के घर में स्थित हैं और श्रीकृष्ण श्रीराधारानी जी के घर में। जीवन के नित्य धनस्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों ॥5॥
कृष्णचित्तस्थिता राधा राधाचित्स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥६॥
श्रीराधारानी जी के मन में श्रीकृष्ण स्थित हैं और श्रीकृष्ण के मन में श्रीराधारानी जी। जीवन के नित्य धनस्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों ॥6॥
नीलाम्बरा धरा राधा पीताम्बरो धरो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥७॥
श्रीराधारानी जी नीले वस्त्र धारण करती हैं और श्रीकृष्ण पीले। जीवन के नित्य धनस्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों॥7॥
वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥८॥
वृन्दावन की देवी हैं श्रीराधारानी जी और वृन्दावन के देवता हैं श्रीकृष्ण। जीवन के नित्य धनस्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों॥8॥
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